27 जुलाई 2024, : सोयाबीन किसानों के लिए 15 से 35 दिनों की फसल हेतु विशेष सलाह – सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए यह साप्ताहिक सलाह उनके फसल की सुरक्षा और बेहतर उत्पादन के लिए आवश्यक सुझाव प्रदान करती है। 15 से 35 दिनों की फसल के लिए इस विशेष सलाह में जैविक और अजैविक समस्याओं से निपटने के उपाय बताए गए हैं। इस समय सोयाबीन की फसल को सूखे और कीटों से बचाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।
जैविक और अजैविक कारकों का नियंत्रण
सोयाबीन की फसल 15-35 दिनों की अवधि में है। कुछ क्षेत्रों में सूखे का सामना भी करना पड़ रहा है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए सलाह है कि भूमि में दरार पड़ने से पूर्व ही फसल की सिचाई करले और किसानों को सूखे से प्रभावित क्षेत्रों में BBF/रिज फ़रो सीड ड्रिल का उपयोग करके बनाए गए फ़रो मैं स्प्रिंकलर, ड्रिप या बाढ़ सिंचाई प्रणाली का उपयोग करके सिंचाई करने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही, कृषकगण अन्य उपाय जैसे भूसे/खरपतवारो की पलवार लगा कर नमी संरक्षण का काम कर सकते हैं।
सूखे के कारण पत्तियों में आयरन की कमी से ऊपरी पत्तियों में पीलेपन के लक्षण दिखाई दे सकते हैं जो पर्याप्त वर्षा होने के बाद गायब हो सकते हैं। यदि यह समस्या गंभीर हो तो 10 ग्राम फेरस सल्फेट (FeSO4.7H2O) और 2 ग्राम चुना (Ca(OH)2) प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करने की सलाह दी जाती है। भारी बारिश से जल जमाव की समस्या से बचने के लिए खेत में जल निकासी की व्यवस्था करने की आवश्यकता होती है।
यदि किसानों ने पहले ही फसल में बोवनी पूर्व (PPI) या बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी (PE) खरपतवार नाशकों का उपयोग किया है, तो सुविधाजनक मौसम में डोरा या कुल्पा का उपयोग कर खरपतवार नियंत्रित करने की सलाह दी जाती है। साथ ही, फसल 15 से 25 दिनों की हो जाने पर कीटनाशक और खरपतवार नाशकों के निम्नलिखित संयोजनों का उपयोग किया जा सकता है: खरपतवार नाशक क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5 SC (150 मिली/हेक्टेयर) या क्विनालफोस 25 EC (1 लीटर/हेक्टेयर) या इंडोक्साकार्ब 15.8 EC (333 मिली/हेक्टेयर) के साथ कीटनाशक इमाज़ेथापायर 10 SL (1 लीटर/हेक्टेयर) या क्विज़ालोफॉप एथिल 5 EC (1.00 लीटर/हेक्टेयर) का संयोजन।
रोग और कीट नियंत्रण
किसानों को सोयाबीन की फसल में फूल आने से 4-5 दिन पहले क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 18.5 एससी @ 150 मिली/हेक्टेयर का छिड़काव करना चाहिए। इससे अगले 30 दिनों तक पत्ती खाने वाले कीटों पर नियंत्रण में मदद मिलती है। तना मक्खी का प्रकोप आमतौर पर प्रारंभिक फसल वृद्धि अवधि के दौरान होता है। इसे नियंत्रित करने के लिए थियामेथॉक्सम 12.60% + लैंबडा सायहलोथ्रिन 09.50% ZC @125 मिली/हेक्टेयर का छिड़काव किया जा सकता है।
सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक रोग लगभग एक महीने की उम्र में शुरू होने की संभावना है, जिसके लिए रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फ़ैलाने वाले वाहक सफ़ेद मक्खी की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक थियामेथॉक्सम + लैंबडा सायहलोथ्रिन (125 मिली/हेक्टेयर) या बेटासायफ्लूथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) का स्प्रे करने की सलाह दी जाती है। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह भी सलाह है की सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषक गण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाए।
फफूंदजनित रोग एन्थ्रेक्नोज के प्रारंभिक लक्षण देखे जाने पर नियंत्रण हेतु शीघ्रातिशीघ्र टेबुकोनाज़ोल 25.9 EC (625 मिली/हेक्टेयर) या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG (1250 ग्राम/हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
सामान्य सलाह
कीटनाशक, हर्बिसाइड और फफूंदनाशक का छिड़काव करते समय अनुशंसित मात्रा में पानी का उपयोग करना महत्वपूर्ण है (450 लीटर/हेक्टेयर बैकपैक स्प्रेयर के लिए या 120 लीटर/हेक्टेयर पावर स्प्रेयर के लिए)। कीटनाशक छिड़काव के लिए कोन नोजल और हर्बिसाइड छिड़काव के लिए फ्लड जेट/फ्लैट फैन नोजल का उपयोग करें।
सोयाबीन के लिए भारत सरकार के केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड द्वारा जारी सूची में शामिल नही रसायनों का उपयोग नहीं करना चाहिए। ICAR-IISR द्वारा अनुशंसित या परीक्षण न किए गए किसी भी कीटनाशक/हर्बिसाइड संयोजन का उपयोग करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे फसल को नुकसान हो सकता है। पीली चिपचिपी जाल का उपयोग पीला मोजेक रोग के वाहक सफेद मक्खी को आकर्षित करने के लिए विभिन्न स्थानों पर किया जा सकता है।
पत्तियों को खाने वाले कीट को खाने वाले पक्षियों के लिए विभिन्न स्थानों पर पक्षी बैठने की व्यवस्था करनी चाहिए। तंबाकू कैटरपिलर और चना पॉड बोरर के प्रबंधन के लिए कीट-विशिष्ट फेरोमोन जाल और NPV (250 LE/हेक्टेयर) का उपयोग किया जा सकता है। जैविक सोयाबीन उत्पादन के लिए बासिलस थुरिंजियेंसिस, ब्यूवेरिया बैसियाना या नोमूरिया रिलेई @ 1 लीटर/हेक्टेयर का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
खरपतवार नियंत्रण के लिए अनुशंसित हर्बिसाइड्स
खरपतवार नियंत्रण के लिए विभिन्न हर्बिसाइड्स का उपयोग किया जा सकता है। तालिका में विभिन्न प्रकार के हर्बिसाइड्स और उनकी अनुशंसित मात्रा दी गई है, जैसे कि क्लोरिम्यूरॉन एथिल 25% WP, इमाज़ेथापायर 10 SL, क्विज़ालोफॉप एथिल 5 EC, और अन्य। इन हर्बिसाइड्स का चयन फसल की स्थिति और खरपतवारों के प्रकार के आधार पर किया जाना चाहिए।
खरपतवारनाशी का प्रकार | रासायनिक नाम | मात्रा (प्रति हेक्टेयर) | नियंत्रण के लिए |
उद्भव के बाद (10-12 दिन) | क्लोरिम्यूरोन एथिल 25% WP + सर्फेक्टेंट | 36 g | द्विबीजपत्री खरपतवार |
बेंटाज़ोन 48 SL | 2.0 l | मोनोकॉट+द्विबीजपत्री खरपतवार | |
उद्भव के बाद (15-20 दिन) | इमेजेथापायर10 SL+ सर्फेक्टेंट | 1.00 l | मोनोकॉट+द्विबीजपत्री खरपतवार |
इमेजेथापायर10 SL | 1.00 l | मोनोकॉट+द्विबीजपत्री खरपतवार | |
इमेजेथापायर 70% WG + सर्फेक्टेंट | 100 g | मोनोकॉट+द्विबीजपत्री खरपतवार | |
क्विज़ालोफ़ॉप-एथिल 5 EC | 0.75-1.00 l | मोनोकॉट खरपतवार | |
क्विज़ालोफ़ॉप-पी-एथिल 10 EC | 375-450 ml | मोनोकॉट खरपतवार | |
फेनोक्साप्रोप-पी-एथिल 9.3 EC | 1.11 l | मोनोकॉट खरपतवार | |
क्विज़ालोफ़ॉप-पी-टेफ़्यूरिल 4.41 EC | 0.75-1.00 l | मोनोकॉट खरपतवार | |
फ़्लुज़िफ़ॉप-पी-ब्यूटाइल 13.4% EC | 1 -2 l | मोनोकॉट खरपतवार | |
हेलोक्सीफ़ॉप आर मिथाइल 10.5 EC | 1-1.25 l | मोनोकॉट खरपतवार | |
प्रोपेक्विज़ाफ़ॉप 10 EC | 0.5-0.75 l | मोनोकॉट खरपतवार | |
फ़्लुथियासेट मिथाइल 10.3 EC | 125 ml | द्विबीजपत्री खरपतवार | |
क्लेथोडिम 25 EC | 0.5-0.75 l | मोनोकॉट खरपतवार | |
पीओई प्री-मिक्स फॉर्मूलेशन (15-20 दिन) | फ़्लुज़िफ़ॉप-पी-ब्यूटाइल + फ़ोमसेफ़ेन | 1 l | मोनोकॉट+द्विबीजपत्री खरपतवार |
इमेजेथापायर + इमाज़ामोक्स | 100 g | ||
प्रोपेक्विज़ाफ़ॉप + इमेजेथापायर | 2.0 l | ||
सोडियम ऐसफ्लोरोफेन + | 1.0 l | ||
क्लोडिनाफॉपप्रोपार्गिल | 1.5 l | ||
फोमेसेफेन + क्विज़ालोफॉप एथिल | 375 ml+36g+0.2% | ||
क्विज़ालोफॉप एथिल 10% EC + क्लोरिमुरोन एथिल 25% WP + सर्फेक्टेंट (0.2) | 500 ml | ||
(हर्बिसाइड) (ट्विन पैक) | 500 ml |
इन सिफारिशों का पालन करके सोयाबीन किसान अपनी फसल को जैविक और अजैविक समस्याओं से बचा सकते हैं और अपनी उपज को बढ़ा सकते हैं।